रसायन मुक्त भारत के लिए PGS-India को अपनाना

उद्देश्य - रसायन मुक्त भारत के लिए PGS-India को अपनाना 

मानव संसाधन विकास पर प्रशिक्षण कार्यक्रम 

कृषि और बागवानी के लिए मानव संसाधन विकास प्रशिक्षण 

मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम 

मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन पर किसानों और पेशेवरों को प्रशिक्षण 

PGS-India के अंतर्गत स्थानीय संसाधन व्यक्ति का प्रशिक्षण 

उद्देश्य -PGS-India को अपनाना 

खाद्य गुणवत्ता मानकों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम

खाद्य गुणवत्ता मानकों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम 

जैविक खेती पर जागरूकता कार्यक्रम 

पौधा स्वास्थ्य प्रबंधन पर किसानों और पेशेवरों को प्रशिक्षण 

सिचाई और पानी संरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम 

सिचाई और पानी संरक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम

बागवानी मे तकनीकी सहायता प्रशिक्षण कार्यक्रम

बागवानी मे तकनीकी सहायता प्रशिक्षण कार्यक्रम 

मृदा संरक्षण कार्यक्रम पर प्रशिक्षण 

मृदा प्रबंधन परामर्श

हमारा वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम 

एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन के अंतर्गत तकनीकी सहायता समूह (टीएसजी) पर जानकारी और प्रशिक्षण 

कोर्स के बारे मे

एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन के अंतर्गत तकनीकी सहायता समूह (टीएसजी) की जानकारी

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के पास तकनीकी और विशेषज्ञता प्राप्त लोगों का एक मजबूत तंत्र होगा जो कि मिशन के प्रबंधन के लिए बेहद महत्वपूर्ण कड़ी होगी। जैसा कि मौजूदा प्रक्रिया है, राष्ट्रीय बागवानी मिशन और राष्ट्रीय बांस मिशन को एनएचबी व एचएमएनईएच और वीआईयूसी को एसएफएसी सहयोग करेंगे एनएचएम और एचएमएनईएच दोनों को फसलोपरांत प्रबंधन और शीतगृह भंडारण की दिशा में एनसीसीडी तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा। सेवा प्रदाता भी ईसी द्वारा इस मामले में स्वीकृत शर्तों के अनुरूप तकनीकी सेवा उपलब्ध करा सकते हैं बागवानी आयुक्त / डीडीजी (आई / सी) सभी प्रकार के कार्यों जैसे- पौध सामग्री, क्षेत्र विस्तार, पुनर्जीवीकरण, आवरण प्रबंधन, आईएनएम / आईपीएम और जैविक खेती इत्यादि से संबंधित मामलों में तकनीकी सहायता समूहों को परामर्श देंगे। तकनीकी सेवा उपलब्ध कराने के लिए तकनीकी सहायता समूह अलग-अलग स्तर पर कर्मचारियों की भर्ती करेंगे। इन कर्मियों का मानदेय उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर तय होगा। कृषि और कृषि वानिकी का ज्ञान रखने वाले युवा स्नातक, कम्प्यूटर क्षेत्र के पेशेवर, एमबीए स्नातक और अन्य युवा पेशेवर भी तकनीकी सहायता समूहों का अंग हो सकते हैं।


तकनीकी सहायता समूहों की भूमिका और कार्य इस प्रकार होंगे:


  1.  नियमित रूप से राज्यों का दौरा करना और संगठनात्मक व तकनीकी मामलों में मार्गदर्शन करना बी) अलग-अलग किस्म की बागवानी / बांस की खेती तथा इनसे जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे- उत्पादन, फसलोपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन इत्यादि के मद्देनजर क्षेत्रीय कार्यशालाओं के संचालन के लिए सामग्री तैयार करना। एसएचएम / एसबीडीए के परामर्श से देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न विषयों पर क्षमता विकास, प्रदर्शनी, कार्यशालाएं / सेमिनार इत्यादि का वार्षिक कलेंडर तैयार करना।

  2. सभी क्षेत्रों में बागवानी / बांस उत्पादन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कराना।

  3. सफलता की कहानियों का अभिलेखीकरण और प्रचार-प्रसार।

  4. क्षमता विकास कार्यक्रमों में राज्यों की सहायता करना।

  5. मासिक प्रगति रिपोर्ट उपलब्ध कराना।


परियोजना के प्रतिपादन स्वीकृति और निगरानी के लिए राज्यों के मिशन राष्ट्रीय तर्ज पर राज्य स्तरीय तकनीकी सहायता समूहों की भी स्थापना कर सकते हैं। राज्य मिशनों को यह स्वतंत्रता होगी कि वे राज्य के साथ-साथ जिला स्तर पर भी तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने के लिए बाहर से परामर्शदाताओं की सेवाएं ले सकेंगे। एनबीएम के लिए क्षेत्र के हिसाब से बांस तकनीकी सहायता समूह (बीटीएसजी) गठित किए जाएंगे। बीटीएसजी अपनी वार्षिक कार्य योजना एनबीएम प्रकोष्ठ को प्रस्तुत करेंगे बीटीएसजी की कार्यप्रणाली टीएसजी की ही तरह होगी। बीटीएसजी विभिन्न क्षेत्रों में कायम राष्ट्रीय / राज्य स्तरीय संस्थानों के साथ काम करेंगे और ठेके पर पेशेवरों की भर्ती करने के लिए नियमों को लचीला कर सकेंगे।

हमारा वर्तमान प्रशिक्षण कार्यक्रम 
पीजीएस - इंडिया के अंतर्गत व्यक्तिगत कृषि उत्पादको और स्थानीय समूहों का प्रशिक्षण
कोर्स के बारे मे

व्यक्तिगत कृषि उत्पादक के बारे में जानें

पीजीएस इंडिया जैविक गारंटी प्रणाली की पहुंच उन एकल किसानों तक सुनिश्चित करने के लिए है जो समूहों से दूर क्षेत्रों में रहते हैं और ग्राम समुदाय के अन्य सदस्य अभी तक जैविक को अपनाने के लिए तैयार नहीं हैं, पीजीएस इंडिया कार्यक्रम में, समूहों के लिए पीजीएस इंडिया के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आस- पास के पीजीएस इंडिया समूहों से सत्यापन और गारंटी द्वारा इन खेतों को प्रमाणित करने के लिए विशिष्ट प्रावधान हैं। असाधारण मामलों में जहां ऐसी गारंटी के लिए पास में कोई पीजीएस इंडिया समूह नहीं है, तो क्षेत्रीय परिषदों के माध्यम से राष्ट्रीय संस्थागत संगठन ऐसे किसानों को पीजीएस इंडिया गारंटी प्रक्रिया के अनुपालन के सत्यापन के लिए सहायता करते   हैं। लेकिन ऐसे किसानों को समूह बनाने और जब भी संभव हो, पीजीएस इंडिया समूहों का हिस्सा बनने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। उन गांवों में अकेले किसान जहां पीजीएस इंडिया समूह मौजूद हैं या ऐसे पीजीएस इंडिया समूहों के नजदीकी गांवों में हैं, उन्हें उन समूहों के हिस्से के रूप में माना जात है।

एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम 
व्यक्तिगत कृषि उत्पादक और स्थानीय समूहों पर प्रशिक्षण
कोर्स के बारे मे

एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम

भारत तथा विश्व समुदाय में विगत तीन-चार दशकों में बढती हुई जनसँख्या का भरण पोषण करने के लिए कृषि उत्पादन में रसायनिक खाद, जहरीले कीटनाश पदार्थो का अतिशय उपयोग एक हानिकारक स्तर पहुँच गया है, जो कि मनुष्य के स्वास्थ, मिट्टी तथा परिस्थितिकी के लिए हानिकारक है. वर्तमान में खाद्य गुणवत्ता सुनिश्चित करने के साथ-साथ पर्यावरण को स्वस्थ रखने हेतु भी जागरूकता बढ़ी है. बढती हुई जनसँख्या का स्वस्थ भरण पोषण करने तथा मानव - पर्यावरण का सामंजस्य बनाए रखने के लिए जैविक खेती एक अपरिहार्य एवं मात्र विकल्प बची है।

विश्व को जैविक खेती भारत देश की देन है, यहां के किसान चार सहस्त्राब्दि के कृषि ज्ञान से परिपूर्ण किसान है और जैविक खेती ही उन्हें इतने वर्षो तक पालती पोसती रही है। सामान्य भाषा में “जैविक खेती कृषि की वह विधा है जिसमें मृदा को स्वस्थ व जीवंत रखते हुए केवल जैव अवशिष्ट, जैविक तथा जीवाणु खाद के प्रयोग से प्रकृति के साथ समन्वय रख कर टिकाऊ फसल उत्पादन किया जाता है”. अपने पूर्ण रूप में जैविक खेती एक टिकाऊ उत्पादन प्रक्रिया है जो प्राकृतिक प्रक्रियाओं तथा संसाधनों पर आधारित है:

  1.  स्थानीय प्राकृतिक संसाधनों का उपयुक्त प्रयोग ।

  2. सूर्यप्रकाश तथा विभिन्न जैव रूपों की जैविक क्षमता का प्रभावी उपयोग।

  3.  मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण ।

  4.  जैव अंश तथा पौध पोषणों का पुनः चक्रीय रूप में प्रयोग।

  5.  प्रकृति के विरुद्ध किसी भी प्रकार के आदान जैसे रसायन तथा परिवर्तित जैव स्वरूपों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध।

  6. जैव विविधता का संरक्षण तथा उसका उत्तरोत्तर विकास तथा सभी जीवों तथा पशुओं के साथ आदर व समता का भाव।

जैविक खेती की पूरी विधा प्राकृतिक प्रक्रियाओं के सामंजस्य व उनके एक दूसरे पर प्रभाव की जानकारी पर आधारित होने के कारण इससे न तो मृदा जनित तत्वों का दोहन होता है और न ही मृदा की उर्वरता का हास होता है। जैविक खेती की पूरी प्रक्रिया में मिट्टी एक जीवंत अंश है तथा मृदा में रहने वाले सभी जीव रूप इसकी उर्वरता के प्रमुख अंग है और सतत उर्वरता संरक्षण में योगदान करते है।

Our Features
Become a Organic Standards Farms under PGS-India
बारे मे

PGS-India has a number of basic elements which embrace a participatory approach, a shared vision, transparency and trust. Participation is an essential and dynamic part of PGS. Key stakeholders (producers, consumers, retailers, traders and others such as NGOs, PGS-facilitators and service providers) are helping in capacity building and making farmers aware in group formation, system operation, decision making and integrity management. In the operation of PGS, stakeholders (including producers) are involved in decision making and essential decisions about the operation of the PGS itself. PGS Groups in addition to being involved in the mechanics of the PGS, stakeholders, particularly the farm-producers, are engaged in a structured ongoing learning process, which helps them improve what they do. The learning process is usually ‘hands-on’ and involves field days or workshops. The idea of participation embodies the principle of collective responsibility for ensuring the organic integrity of the PGS.

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PGs-India Groups Farmer Member Across the State 
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Plastic Mulching in 2019.

About Us

Hygienic Farm & Experience Farmer and Labour

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Plastic Mulching in 2019.

About Us

Human Resources Development by Vindhya Micro Service Industry

Demo

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About Us

Welcome To PGS-India

PGS-India (Participatory Guarantee System of India) is a quality assurance initiative that is locally relevant, emphasize the participation of stakeholders, including producers and consumers and operate outside the frame of third party certification. National Project on Organic Farming (NPOF) is a continuing central sector scheme since 10th Five Year Plan.

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Know About National Center for Organic Farming 

National Centre for Organic Farming is a nodal organization for promotion of organic farming under INM Division, Department of Agriculture & Farmers Welfare, Ministry of Agriculture & Farmers Welfare, Government of India under Soil Health Management component of National Mission on Sustainable Agriculture (NMSA). NCOF came into force in 2004, for implementing National Project on Organic Farming (NPOF) along with its Regional Centre.

National Centre of Organic Farming has been renamed as National Centre for Organic and Natural Farming (NCONF), Ghaziabad in March 2022 with five Regional Centre for Organic and Natural Farming (RCONFs) located at Ghaziabad (North Zone), Bengaluru (South Zone), Bhubaneshwar (East Zone), Nagpur (West and Central) and Imphal (North East zone).

The revised mandate of National Centre for Organic and Natural Farming (NCONF) will be as under: -

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समस्या समाधान आधारित एकीकृत प्रशिक्षण 

एकीकृत जैविक खेती प्रशिक्षण 

जीरो लागत खेती प्रशिक्षण 

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Get Started
Career with PGS-India

Organic Farming Management Course

Organic Food Production Training

Organic Food Production Training under Organic Standards

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Soil Health Counseling and Management Training

Soil Health Counseling Management Training under Organic Standards

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Plants Health Counseling and Management Training

Plants Health Counseling and Management Training under Organic Standards 

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Indigenous Technical Knowledge

Training on Crop wise with reference to promotion of Organic Farming

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Machine Learning for Crop Health Training

Machine Learning for Crop Health Training

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Machine Learning for Soil Health Training

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Digital Soil Mapping Training

Digital Soil Mapping Training Program

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Remote Sensing Training for Agriculture

Food Safety Training under Organic Standards

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Golden Rice Creation Training

Golden Rice Creation Training

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Training on Plant Biotechnology

Training on Plant Bio Technology

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Energy and Exergy analysis Training of Dryers 

Energy and Exergy analysis Training of Dryers

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Food Dehydration Training

Food Dehydration

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Bio Fertilizer Production and Marketing Training

Bio Fertilizer Production Training

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Milk Marketing

Milk Marketing

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On farm Water Balance Training  

On Farm water Balance Training

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Institutional Support and Investment Training in Agriculture 

Institutional Support and Investment Training in Ageiculture

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e-Marketing for Agriculture Products 

Milk Marketing

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Training on Public and Private Investment in Agriculture

Training on Public and Private Investment in Agriculture

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Completed Projects

Our Completed Project

I8
Food Production Training
I6
Vegetable Production Training
I1
Food Health Check Training
Upcoming Projects

Our Upcoming Project

pest1
Tomato Pest Management
p9
Cloud Computing
p7
Organic Fertilizer
Our Ongoing Projects

Our Ongoing Project

images (6)

Remote Sensing
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IoT for Agriculture
p9

Cloud Computing
Testimonial

What Trustees Say's

Managing Director of Brijesh Rai Agriculture Industry

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Brijesh Kumar Rai Trustee and Chairman

House Wife

Carrot-Orange-Hybrid-Seeds
Poonam Rai Trustee

Managing Director of Vindhya Micro Service Industry

Director and Shareholders Ashish Mishra 3
Ashish Mishra Trustee

Demo

Photo from Ashish Mishra (47)
Vinod Singh Trustee

Demo

p4
Rajesh Rai Trustee

Managing Director of JANAK Service Industry

mp21
Jaya Mishra Trustee