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एकीकृत बाग़वानी विकास मिशन के अंतर्गत तकनीकी सहायता समूह (टीएसजी) की जानकारी
एकीकृत बागवानी विकास मिशन के पास तकनीकी और विशेषज्ञता प्राप्त लोगों का एक मजबूत तंत्र होगा जो कि मिशन के प्रबंधन के लिए बेहद महत्वपूर्ण कड़ी होगी। जैसा कि मौजूदा प्रक्रिया है, राष्ट्रीय बागवानी मिशन और राष्ट्रीय बांस मिशन को एनएचबी व एचएमएनईएच और वीआईयूसी को एसएफएसी सहयोग करेंगे एनएचएम और एचएमएनईएच दोनों को फसलोपरांत प्रबंधन और शीतगृह भंडारण की दिशा में एनसीसीडी तकनीकी सहयोग प्रदान करेगा। सेवा प्रदाता भी ईसी द्वारा इस मामले में स्वीकृत शर्तों के अनुरूप तकनीकी सेवा उपलब्ध करा सकते हैं बागवानी आयुक्त / डीडीजी (आई / सी) सभी प्रकार के कार्यों जैसे- पौध सामग्री, क्षेत्र विस्तार, पुनर्जीवीकरण, आवरण प्रबंधन, आईएनएम / आईपीएम और जैविक खेती इत्यादि से संबंधित मामलों में तकनीकी सहायता समूहों को परामर्श देंगे। तकनीकी सेवा उपलब्ध कराने के लिए तकनीकी सहायता समूह अलग-अलग स्तर पर कर्मचारियों की भर्ती करेंगे। इन कर्मियों का मानदेय उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर तय होगा। कृषि और कृषि वानिकी का ज्ञान रखने वाले युवा स्नातक, कम्प्यूटर क्षेत्र के पेशेवर, एमबीए स्नातक और अन्य युवा पेशेवर भी तकनीकी सहायता समूहों का अंग हो सकते हैं।
तकनीकी सहायता समूहों की भूमिका और कार्य इस प्रकार होंगे:
नियमित रूप से राज्यों का दौरा करना और संगठनात्मक व तकनीकी मामलों में मार्गदर्शन करना बी) अलग-अलग किस्म की बागवानी / बांस की खेती तथा इनसे जुड़े विभिन्न पहलुओं जैसे- उत्पादन, फसलोपरांत प्रबंधन, प्रसंस्करण और विपणन इत्यादि के मद्देनजर क्षेत्रीय कार्यशालाओं के संचालन के लिए सामग्री तैयार करना। एसएचएम / एसबीडीए के परामर्श से देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न विषयों पर क्षमता विकास, प्रदर्शनी, कार्यशालाएं / सेमिनार इत्यादि का वार्षिक कलेंडर तैयार करना।
सभी क्षेत्रों में बागवानी / बांस उत्पादन के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन कराना।
सफलता की कहानियों का अभिलेखीकरण और प्रचार-प्रसार।
क्षमता विकास कार्यक्रमों में राज्यों की सहायता करना।
मासिक प्रगति रिपोर्ट उपलब्ध कराना।
परियोजना के प्रतिपादन स्वीकृति और निगरानी के लिए राज्यों के मिशन राष्ट्रीय तर्ज पर राज्य स्तरीय तकनीकी सहायता समूहों की भी स्थापना कर सकते हैं। राज्य मिशनों को यह स्वतंत्रता होगी कि वे राज्य के साथ-साथ जिला स्तर पर भी तकनीकी सहायता उपलब्ध कराने के लिए बाहर से परामर्शदाताओं की सेवाएं ले सकेंगे। एनबीएम के लिए क्षेत्र के हिसाब से बांस तकनीकी सहायता समूह (बीटीएसजी) गठित किए जाएंगे। बीटीएसजी अपनी वार्षिक कार्य योजना एनबीएम प्रकोष्ठ को प्रस्तुत करेंगे बीटीएसजी की कार्यप्रणाली टीएसजी की ही तरह होगी। बीटीएसजी विभिन्न क्षेत्रों में कायम राष्ट्रीय / राज्य स्तरीय संस्थानों के साथ काम करेंगे और ठेके पर पेशेवरों की भर्ती करने के लिए नियमों को लचीला कर सकेंगे।
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